संगीतकार: कल्याणजी-आनंदजी
गीतकार: राजिंदर कृष्ण
गायक/गायिका: लता मंगेशकर, मो.रफ़ी
प्यार सिखा दूं, सिखला दो ना
आओ तुम्हें मैं प्यार सिखा दूं, सिखला दो ना
प्रेम नगर की डगर दिखा दूं, दिखला दो ना
दिल की धड़कन क्या होती है
ये अनजाना राज़ बता दूं, बतला दो ना
आओ तुम्हें मैं प्यार…
पहले धीरे से पलकों की तिलमन ज़रा गिरा लो
कैसे, ऐसे
अब अपने रुखसारों पर ये ज़ुल्फ़ ज़रा बिखरा लो
हूं ऐसे, हां ऐसे
देखो मुझको डर लागे, देखो मुझको डर लागे
जान क्या होगा आगे
सबर करो तो समझा दूं, समझा दो ना
आओ तुम्हें मैं प्यार…
छोड़ के बेगानापन अब तुम मेरे पास आ जाओ
आ गई, लो आ गई
भूल के सारी दुनिया, इन बाहों में खो जाओ
ना ना ना ना, ना बाबा ना
प्यार नहीं होता ऐसे, प्यार नहीं होता ऐसे
होता है फिर वो कैसे
ठहरो तुमको समझा दूं, समझा दो ना
आओ तुम्हें मैं प्यार…
फूल की खुशबू, पवन की सूरत कभी आंख से देखी
नहीं तो
तन तो देखा, मन की मूरत, कभी आंख से देखी
नहीं नहीं
प्यार नहीं कोई वासना, प्यार नहीं कोई वासना
ये तो एक उपासना
समझे? नहीं समझे?
आओ तुम्हें मैं समझा दूं…
Comments
Post a Comment